इश्क़ की परेशानियाँ भी खूब हैं
जानबूझ नादानियाँ भी खूब हैं;
अब उदासी में भी मिलता है सुकूं
दिल की वीरानियाँ भी खूब हैं;
मैं खुद के ही साथ करता हूँ फरेब
उफ्फ! बेईमानियाँ भी खूब हैं
हाँ मोहब्बत काफी देती ग़म मग़र
देख मेहरबानियाँ भी खूब हैं
आशिक़ी में लुत्फ़ बेशुमार हैं
यार पर कुर्बानियाँ भी खूब हैं
नज़्म और शायर मिले किस तरह
इसकी हैरानियाँ भी खूब है
नाज़ से तब्दील कर गए रास्ते
या ख़ुदा शैतानियाँ भी खूब हैं
कुछ बातें बेशक़ नहीं हुई थी पूरी
देख पर एलानियाँ भी खूब है
फ़क्र कर सरताज है दीवाना तेरा
उसकी दीवानियाँ भी खूब हैं।
~Dr. Satinder Sartaaj