तुम्हारा ख़्याल मन से निकलता नहीं है
सुकूं दिल को इसलिए मिलता नहीं है
जिन हालत में प्यार की आस लगाई है
उन हालात में प्यार कभी पलता नहीं है
सोचता तो हूँ ज़िन्दगी में आगे बढ़ने की
मन-वृष तुम्हें छोड़ आगे चलता नहीं है
खुशी की शाम दो पल की होती है श्याम
ये दुःख का दिन है जो कि ढ़लता नहीं है
मैं मर रहा हूँ हर पल तुम्हें याद करके
एक तुम्हारा दिल है कि पिघलता नहीं है
यूँ तो बहुत हसीनाएं है मेरी ज़िन्दगी में
हर किसी पर मेरा मन मचलता नहीं है
एहसास के साथ वो आँखों में कैद है
आंसुओ को निकलने का रस्ता नहीं है
ग़म ने ही खुद का इलाज़ शुरू कर दिया
ख़ैर जो होना होता है वो टलता नहीं है|