Ghazal

Sep 3, 2020 · 130 words · 1 minute read

तुम्हारा ख़्याल मन से निकलता नहीं है
सुकूं दिल को इसलिए मिलता नहीं है

जिन हालत में प्यार की आस लगाई है 
उन हालात में प्यार कभी पलता नहीं है 

सोचता तो हूँ ज़िन्दगी में आगे बढ़ने की 
मन-वृष तुम्हें छोड़ आगे चलता नहीं है 

खुशी की शाम दो पल की होती है श्याम 
ये दुःख का दिन है जो कि ढ़लता नहीं है 

मैं मर रहा हूँ हर पल तुम्हें याद करके 
एक तुम्हारा दिल है कि पिघलता नहीं है 

यूँ तो बहुत हसीनाएं है मेरी ज़िन्दगी में 
हर किसी पर मेरा मन मचलता नहीं है 

एहसास के साथ वो आँखों में कैद है 
आंसुओ को निकलने का रस्ता नहीं है

ग़म ने ही खुद का इलाज़ शुरू कर दिया 
ख़ैर जो होना होता है वो टलता नहीं है|

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