किस्मत हमारे घर तशरीफ़ लायी थी,
क्या पता था हमे अब उठनी तबाही थी;
हम तो नाच रहे थे तब बेफ़िक्र होकर,
हमारे भैया की पत्नी जब घर आयी थी।
पाबंद लगा लिया है मैंने अपने गाने पर,
सवाल ना किया कभी उनके खाने पर;
बड़े Pro-Player कहते थे खुद को कभी,
वो भैया अब रहते हैं AWM के निशाने पर।
उनके हाथ में समान का सदा पर्चा होता है,
बजट से ज्यादा भाभीजी का खर्चा होता है;
इक्कीसवीं सदी के हम है क्षत्रीय भी अगर,
उनके हाथ में परशुराम वाला फरसा होता है।
काम भी हमारा अब तो मंदा रहता है,
भैया जी से अब ना मेरा पंगा रहता है;
लङना तो दूर जोर से बोलें भी अगर,
उनके हाथ में सदा एक बरंगा रहता है।
~Shyam Sunder
#हास्यकविता
Hamare Bhaiya Ki Patni
Apr 30, 2020
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130 words
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