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The Rest Frame

All the things are relative, this is my rest frame.

Sabse Khatarnak

Dec 11, 2020
Sabse Khatarnak
मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती गद्दारी और लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती बैठे-बिठाए पकड़े जाना, बुरा तो है सहमी-सी चुप में जकड़े जाना, बुरा तो है पर सबसे खतरनाक नहीं होता| कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाना, बुरा तो है जुगनुओं की लौ में पढ़ना, बुरा तो है मुट्ठियां भींचकर बस वक्त निकाल लेना, बुरा तो है

Shyam Ek /kisan

Dec 3, 2020
Shyam  Ek /kisan
क्या बोल दिया था उसने तुम्हारे कान में जो छोड़ कर चले गए तुम हमे सुनसान मे बुढ़ापे में मैं हम दोनों को साथ देखता था शायद कोई भारी कमी थी मेरे अनुमान में । ये सच है या मुझे ही नजर नहीं आता तुम्हारे बाद तुम सा मिला नहीं जहान में तुम सुपर ओवर में फ्री हिट जैसी मैं नो बॉल पर रन आउट जैसा आखिर हुआ कैसे ये मेल खेल के मैदान में।

Khuda Ka Banda

Nov 26, 2020
Khuda Ka Banda
कोई शुक्रिया कहता है सुख में कोई याद मोहम्मद को करता मुश्क़िल में लेकिन कहीं ना कहीं भगवान बसते है सबके दिल में। किसी पर जिंदगी का बोझा है, कोई इसे हँसकर काटता है कोई सुख दुःख अकेले ढोता है कोई खुशियां आँसू बाँटता है। सुख के चक्कर में दुःख भोगना इन्सान का काम पसंदीदा है चाहे अच्छा है या बुरा है हर इन्सान खुदा का बन्दा है। \

The Poetry Society Orientation!

Nov 15, 2020
The Poetry Society Orientation!
** ** It was 1st August 2019, the orientation day of the poetry society. It has made a particular part in my mind as a funny but great memory. I wanted to join the society, but I forgot about it on the exact date. It had to start at 1.30. On my way to lunch, suddenly, inner-me sent me a message that I should attend the poetry society orientation. It reminded me but also misplaced the room.