जब मैं कहानियों में जीता था वो दिन गुजर गए
मुझे मोहब्बत हुई और सारे किरदार मर गए
अब ख्यालों में मुझसे मिलने सिर्फ एक चेहरा आता है
बाकी सारे प्यारे लोग अपने-अपने घर गए
कब वक्त बदले कब जज़्बात बदले खबर ना हुई
पता ही नहीं चला जो हमसफर थे वो किधर गए
वो भी दिन थे हम सड़कों पर बेफिक्र नाचते थे
अब हम संजीदा हो गए हम शायद सुधर गए
जब कहानी चल रही हो तो उसे लिख लेना अच्छा है
कल को पता चले कि ख्याल ज़हन से कूच कर गए
जिंदगी क्या है? एक कहानी ही तो है श्याम
तुम्हें क्या हुआ जो इसकी एक तक़रीब से डर गए?
Death of Characters
Dec 3, 2023
·
114 words
·
1 minute read