After Spring

May 28, 2023 · 130 words · 1 minute read




पौधों से फूल अब झड़ने लगें हैं
रंग वसंत के फीके पड़ने लगें हैं
ताज़ूब ए रंग ओ बहार अब उतना नहीं रहा
शायद खूबसूरत ये संसार अब उतना नहीं रहा।

चेहरे पर चुभती है चिलचिलाती धूप
क्या पसंद आता है कुदरत का यह रूप
बाहर निकलने का विचार अब उतना नहीं रहा 
शायद खूबसूरत ये संसार अब उतना नहीं रहा।

कितनी उड़ती थी तितलियां अब हो गईं है गायब
फूलों को खुशबू थी पहले पसीने की बदबू है अब
उन दिनों के वापस आने का आसार अब उतना नहीं रहा
शायद खूबसूरत ये संसार अब उतना नहीं रहा।

मौसम में गर्मी से आई रिश्तों में गर्माहट
पहले मिठास थी जहां अब है कड़वाहट
शायद हवा में प्यार अब उतना नहीं रहा
शायद खूबसूरत ये संसार अब उतना नहीं रहा।

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