किसी की बेख़बरी को नादानी समझा जाता है
तो कोई लापरवाह हो जाता है
अगर आप करें ग़लती तो माफ हो जाती है
अगर हम करें तो गुनाह हो जाता है।
आधी रात को आते हैं फतवे आपके
जो रात कर देते हैं हराम बची हुई
आधी जान तो कील पर टंगी हुई है
आप टांग दो तमाम बची हुई।
ख़ता करने पर तय होता है कि
सजा-ए-ख़ता क्या है
अगर पता हो तो क्यूं हो ख़ता
मगर ख़ता से पहले पता क्या है?
नादान ख़ता को चाहिए नसीहत एहतियात की
पर ऊंचे जिनके ओहदे क्यूं क़दर करें जज़्बात की
मुंसिफ के मन मुताबिक बनते है क़ानून
फ़र्ज़ के फंदों में फंसे रहते है मज़लूम।
इजाद ख़्याली और चालाकी में फर्क क्या है
हक की आवाज़ और गुस्ताख़ी में फर्क क्या है?
अबे बहुत बोलना भी बेअदबी है बवाल मत करो
जो कासिब कहते हैं सुनो सुनो सवाल मत करो
सुनो श्याम सबर का पादरी नहीं रहता
जो जबर का गवाह हो जाता है
अगर आप करें गलती तो माफ हो जाती है
अगर हम करें तो गुनाह हो जाता है।
Jabr ka Gawah
May 7, 2023
·
181 words
·
1 minute read