सुघटना कोई घट नहीं रही है
लड़की कोई पट नहीं रही है
दिन-ब-दिन बढ़ रही बैचैनी
परेशानियां घट नहीं रही है
सर पर लटकी तलवार है
बर्बादी की, हट नहीं रही है
पीठ फेरकर खड़ी हैं खुशियां
आवाज़ दो पलट नहीं रही है
जब से आएं हैं, IIT ले रही है
लगातार ले रही है, डट नहीं रही है
देख असलियत का आइना बिखर गई ख्वाहिशें
अब श्याम समेटे तो सिमट नहीं रही है।
Comments:
Pat जाएगी श्यामा, Have patience. (It was funnily r…
Vinod Kr. Jiani
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Pat जाएगी श्यामा, Have patience. (It was funnily relatable!!)