Kisan

Jul 12, 2021 · 156 words · 1 minute read




यहीं खड़ा हूं मैं तुम मुझे टस से मस नहीं कर सकते
मेरे हाथ पर जो निशान है कुदाली का है
मेरे साथ तुम किसानियत पर बहस नहीं कर सकते।

क्या सेवक सेवा का धर्म भूल गया
क्या हमने तुम्हें चुना नहीं है?
कोई आए और बजाकर चला जाए
इंसान है कोई झुनझुना नहीं है।

राजनीति हमें बेशक नहीं आती
क्योंकि हम सारी उम्र मेहनत करते हैं,
माथे पर पसीने की बूंदे हमेशा रहती है
हम ही हैं जो दुनिया का पेट भरते हैं।

शोर मचाने से सही नहीं होगा
जो गलत है वह गलत रहेगा,
अगर मत से हो सकता है बदलाव
तो बदलाव का हमारा मत रहेगा।

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खेत से लौटते किसान
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