Khet Se Laute Kisan

Oct 1, 2020 · 277 words · 2 minute read






खेत से लौटते किसान
चेहरे पर जिनके थकान
लेकर एक हल्की मुस्कान
अब अपने मकान जाएंगे
मेहनत की रोटी खाएंगे
और चैन से सो जाएंगे।

शरीर इनका पसीने भरा
सफेद कुर्ता हो गया हरा
हर पैसा कमाया है खरा 
मेहनत ही इनकी पहचान 
काम इनका नहीं है आसान 
इनको नहीं कोई अभिमान 
खेत से लौटते किसान। 

पिछे इनके पड़ी है सरकार
मंदी और महंगाई की मार 
पीटे जातें है ये हर बार 
पर साथ इनका देता भगवान
बिका नहीं है इनका ईमान 
राजनीति से है ये अनजान 
खेत से लौटते किसान। 

मेहनत ये करते है भरपूर 
भौतिकता से कोसों दूर 
हंसते रहना इनका दस्तूर 
पशु पक्षी है इनके मेहमान 
सबको देते ये खान-पान 
जो पास है वो कर देते दान 
खेत से लौटते किसान। 

इनके लिए सब कुछ है खेती 
उतना ले लेते जितना ये देती 
संतोष है इनका अच्छा साथी 
इनमे हिन्दू भी है और मुसलमान 
राम नाम का करते है गुणगान 
और साथ में सुनते है अज़ान 
खेत से लौटते किसान। 

ये अर्थव्यवस्था का आधार है 
ना गौर करती सरकार है 
सब वोट बैंक का व्यापार है 
यहाँ भारत की बसती जान 
देश की हैं ये बढ़ाते शान 
पर इनको नहीं मिलता सम्मान 
खेत से लौटते ਕਿਸਾਨ। 

इनकी मेहनत का आभास करो 
इनका भी है भारत विश्वास करो
सब के साथ इनका भी विकास करो 
घर इनके बना दो आलीशान 
ना जारी करो कोई गलत फरमान 
इनका भी बढ़ाओ तुम मान। 

बस यही गुजारिश करे श्याम 
इनका भी तुम करो सम्मान 
ना सच करो तुम मेरा अनुमान 
खेत से लौटते किसान 
चेहरे पर जिनके थकान 
फिर भी लेकर हल्की मुस्कान 
अब जाएंगे ये अपने मकान 
भगवान का फिर करेंगे ध्यान 
चैन से निकालेंगे सारी रैन।

comments powered by Disqus