सड़क पर पड़ा हुआ पत्थर
पैरों से ठोकर मार मार कर
मैं अपने घर ले जा रहा था
तब तुम मिली और मैं
खुशी से पागल हुए जा रहा था।
उस नीम पर, मैं उल्टा लटककर
गायन का अभ्यास कर रहा था
गलतफहमी थी मैं गा सकता हूँ
मैं खुद पर विश्वास कर रहा था।
तुमने मुझे चुप करा बताया कि
मैं तेज लेकिन बेसुरा गा रहा था
जब तुम मुझे मिली तो मैं
खुशी से पागल हुए जा रहा था।
मैं नीम के शीर्ष पर चढ़ रहा था
तभी तुम नीम के नीचे से गुजरी
मैं फिसला और वहीं अटका पर
मेरी चप्पल निकल तुम पर गिरी।
तुमने मुझे गालियाँ भी दी जब
मैं दर्द से मरे जा रहा था
जब तुम मुझे मिली तो मैं
खुशी से पागल हुए जा रहा था।
भगवान भी क्या बनाया था वो
जो अज़ब का हमारा नाता था
मैं बारिश में जब भीग रहा था
उस दिन तुम्हारे पास छाता था।
लेकिन तुम तो किसी जल्दी में
बहुत भागी ही जा रहीं थीं कहीं
मैंने तुम्हें बहुत पुकारा लेकिन
तुमने मेरी तरफ देखा ही नहीं।
और फिर अगले दिन तुमने पूछा
क्या मैं बारिश में नहा रहा था?
जब तुम मुझे मिली तो मैं
खुशी से पागल हुए जा रहा था।
मुझ जैसे निठल्ले से प्यार कर
काम तुमने बहुत नेक किया
तुमने मुझे फोन किया कक्षा में
मैडम ने मुझे बाहर फेंक दिया।
मैं फोन मौन ना करने के लिए
वहाँ पर डांट खा रहा था
जब तुम मुझे मिली तो मैं
खुशी से पागल हुए जा रहा था।