खेलने को बुलाने वाला वो यार कहाँ
हँसाकार रुलाने वाला वो यार कहाँ;
“काम करले मैं कहूँगा नहीं” कहकर
शिकायत लगाने वाला वो यार कहाँ;
एक टाॅफ़ी को आधे-आधे हिस्सों में
तोड़कर खिलाने वाला वो यार कहाँ;
गणित का पूरा पेपर आने के बावजूद
उत्तर भी मिलाने वाला वो यार कहाँ;
हिन्दी के पेपर, पेन में पर्ची डालकर
नंबर भी दिलाने वाला वो यार कहाँ;
स्कूल के रास्ते में मुझे पिछे बैठाकर
साईकिल चलाने वाला वो यार कहाँ;
खेलते जो मेरी बॉल खो जाए कभी
नयी बॉल लाने वाला वो यार कहाँ;
जरूरत पड़ने पर मेरे दुख में अपनी
ज़रूरत भुलाने वाला वो यार कहाँ;
हुआ जो उदास कभी भी ये मन मेरा
तो दिल बहलाने वाला वो यार कहाँ;
ओ ‘श्याम’ इस मतलब की दुनिया में
तेरा साथ निभाने वाला वो यार कहाँ।
~श्याम सुन्दर
Yaar Kahan
Jul 16, 2020
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136 words
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