हाँ! मैं मानता हूँ कि मेरा रंग साँवला है
चलो रंग है, काली नीयत से तो भला है;
सबूत मेंने एहसानों के टुकड़े नहीं खाए
मुश्किल हालात में मेरा बचपन पला है;
निशानी है मेरे परिवेश की मेरे प्रदेश की
जिसके मोहब्बत में मेरा तन मन ढला है;
धूप ने तो शायद मेरा चेहरा ही जलाया
नफरत की आग में मेरा दिल भी जला है;
औरों की तरह हम आरक्षण नहीं चाहते
हमे बस ‘श्याम’ ये असम्मान ही खला है।
~श्याम सुन्दर
ग़ज़ल - रंग साँवला Ghazal 2
Jun 18, 2020
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83 words
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