आज फिर दिल डूबा
मेंने संभलने की कोशिश की
दिल को मनाने के लिए मुस्कुरा दिया,
खुश दिल को करने के लिए
खुद को ही बेवकूफ़ बना दिया।
मेरे अन्दर का श्याम छिपकर
देख रहा सब बैठकर,
वो भी खुद को रोक ना पाया
वो भी खिलकर हँस दिया
और माहौल ठण्डा हो गया।
फिर वक्त भी मुस्कुराया
हम सब ने मिलकर जश्न मनाया।
फिर मेरी कलम भी बोल पङी
और ‘श्याम’ हुआ ये कमाल
ये कविता भी बन गयी।
~Shyam Sunder
Aaj Fir
Apr 30, 2020
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83 words
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